<no title>संजौली कॉलेज में एसजेवीएन ने करवाई भाषण प्रतियोगिता, आंचल, दीक्षा, अक्षय रहे विजयी आज दिनांक 07 नवंबर 2019 को उत्कृष्ट शिक्षा केन्द्र राजकीय महाविद्यालय संजौली में जागरूकता सप्ताह के दौरान इंटिग्रिटी -ए वे ऑफ लाइफ विषय पर एसजेवीएन के सौजन्य से भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता का आरम्भ दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ चंद्र भान मेहता ने सभी गणमान्य अतिथियों का स्वागत किया। महा प्रबंधक श्री डी पी कौशल और नरेन्द्र कुमार मनकोटिया इस प्रतियोगिता में मुख्य रूप से विभागीय स्तर पर विराजमान रहे। इस प्रतियोगिता में आँचल भंडारी प्रथम ,दीक्षा ठाकुर द्वितीय ,और अक्षय सिंगटा तृतीय ,और पांच को सांत्वना पुरस्कार प्रदान किये गए , जिसमें भाव्या, दीपिका, प्राची, श्रेया को सांत्वना पुरस्कार दिए गए। प्रतियोगी शिक्षार्थियों ने अपने अपने अनुभवों को सांझा किया। सभी प्रतिभागियों ने विश्व के महान चरित्रों को उदाहरण सहित अपने विचार प्रकट किए। प्रतियोगियों ने यह भी कहा कि ईमानदारी घर से प्रारम्भ होती है और पहला असत्य भी अपने घर से ही शुरू होता है। शहीदों का स्मरण करते हुए विद्यार्थियों ने कहा कि ईमानदारी उनमें पूर्णतः द्रष्टव्य होती है।अपने विषय उस्थापन में प्रतियोगियों ने कहा कि शिक्षा का पहला पड़ाव ईमानदारी होना चाहिए, ईमानदारी कोई शब्द नहीं बल्कि अन्तस् का भाव है। आज ईमानदारी की परिभाषा की आवश्यकता क्यों पड़ी - यह आज यक्ष प्रश्न है। हमें आवश्यकता है स्वयं को शिक्षित करने की। ईमानदारी चिन्तन है चेतना की। तभी हम चैतन्य तक पहुंच सकते हैं। प्रतिभागी श्रेया ने कहा कि ईमानदारी बुद्धि का आयाम है। ईमानदारी का निकष व्यक्ति के आभ्यंतर रूप में रहता है। इसके लिए तीन गुण अति आवश्यक हैं। हमारा राष्ट्र इसका साक्षात उदाहरण है जहां सत्य को जय का द्योतक माना है। जहां सत्य वास करता है, वहां जय अवश्य होती है। इसी प्रतियोगिता में भावना ने कहा कि इस सृष्टि में मनुष्य रूप में आना मुश्किल है यदि यह जीवन मिल गया तो मूल्य निर्धारित करना उससे भी कठिन है, यदि कुछ मूल्य भी वास कर गए तो चरित्र में आना दुर्लभ है, यहीं से व्यवहार का पर्दापण होता है। सत्यता के लिए स्वयं को जानना आवश्यक है यही से ईमान का आधार तैयार होता है। इसलिए जीवन का मूल ही है स्वयं की ओर लौट आना। इस प्रकार के भावों को विद्यार्थियों ने सांझा किया। इस प्रतियोगिता में शिक्षार्थियों ने कहा कि भारत सत्य का पूजक रहा है इसलिए हमें ईमान से दूर नहीं होना चाहिए। जीवन में ईमानदारी न हो तो जीवन नाश की ओर जाता है। अतः इस मंत्र का स्मरण रखना जरूरी है। प्रतिभागीयों ने कहा कि ईमानदारी हमारी अमूल्य पूंजी है। इसे गंवाना मूर्खता होगी।
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