नौणी विश्वविद्यालय में मशरूम उत्पादन पर प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन सेहत, स्वाद व समृद्धि का पर्याय मशरूम आज रोज़गार एवं व्यवसाय के रूप में स्थापित हो चुका है। अखिल भारतीय मशरूम परियोजना के अंतर्गत अनुसूचित जाति के किसानों के लिए डॉ वाईएस परमार औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के पाद्प रोग विभाग में ‘मशरूम उत्पादन’ पर चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह प्रशिक्षण, परियोजना समन्वयक व मुख्य जांचकर्ता डॉ धर्मेश गुप्ता द्वारा आयोजित किया गया। इस प्रशिक्षण शिविर में हिमाचल के बिलासपुर, मंडी, शिमला, सोलन व सिरमौर जिला के 20 किसानों ने भाग लिया। कार्यक्रम की शुरूआत पाद्प रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ एच.आर.गौतम द्वारा की गई। डॉ गौतम ने मशरूम के महत्व और इसकी भारत व हिमाचल प्रदेश में अपार सम्भावनाओं पर विस्तृत जानकारी दी। इस कार्यक्रम में डॉ सी.एल. जनदेक, डॉ चंदरेश गुलेरिया व डॉ जयपाल ने मशरूम से सम्बन्धित विभिन्न विषयों पर अपने विचार रखे। समापन समारोह में डॉ सुनीता चंदेल ने प्रतिभागियों को कई सुझाव दिए। उन्होंने कहा कि कम जगह व कम खर्च में अधिक मुनाफा हासिल होने के कारण मशरूम उत्पादन से जुड़े विभिन्न व्यवसाय को खासकर देश का युवा वर्ग तेज़ी से अपना रहा है। उन्होंने कहा कि मौजू़दा दौर में सभी युवक-युवतियों को नौकरी प्रदाता बनने की जरूरत है। ऐसी स्थिति में खासकर कम शिक्षित युवक-युवतियों के लिए मशरूम उत्पादन स्वरोज़गार का एक बेहतर साधन साबित हो सकता है।